मदरसा खैरुल उलूम, कोंडवा, पुणे के सालाना इजलास में उलामा का अहम ख़िताब
मुसलमानो! ये मदारिस दीन, ईमान और इस्लाम के क़िले हैं,इन से पढ़ कर निकलने वालों का और इन इदारों का मुल्क पर और ख़ास पूरी उम्मत पर बड़ा एहसान है, मुल्क की आज़ादी से लेकर आजतक ये मदारिस ये उलामा मुल्क व मिल्लत की खिदमत कर रहे हैं, मुल्क को आज़ादी दिलाने और इस उम्मत की तमाम दीनी इस्लामी ज़रूरत को पूरा कर रहे हैं,पैदाइश पर हमारे कानो में अज़ान देने से लेकर हमारी आख़री नमाज़ ऐ जनाज़ा पढ़ाने तक ये उलामा हमारी खिदमत कर रहे हैं, इन उलामा और इन मदरसों की हिफाज़त, खिदमत और इन का हर तरह से तआवून हमारी सबकी पहली ज़िम्मेदारी है, क्योंकि ये मदरसे हुकूमत की भीक और खैरात पर नहीं चलते, हमारे बुज़ुर्गोँ ने कभी भी हुकूमत से मदद नहीं ली, क्योंकि वो जानते थे कि फिर मदरसों पर भी हमारा कण्ट्रोल नहीं रहेगा, मुसलमानो! अपने बच्चों को दीन इस्लाम ईमान की बुनियादी तालीम इतनी दो कि कोई डाकू उनके ईमान को खरीदने में कामियाब न हो.. ऐसे बहोत ही अहम प्यारे ख्यालात का इज़हार सदर ए जलसा हज़रत मुफ़्ती मोहम्मद हारून नदवी ने अपने बयान में फरमाया,मदरसे के बच्चों ने बहोत ही उम्दा प्यारा प्रोग्राम पेश किया, नात, नज़म, मुकालमा और बड़ी प्यारी प्यारी तक़रीर पेश की और ख़ूब इनाम हासिल किया,
कोंडवा (पुणे )
11 फरवरी 2023 बाद नमाज़ मगरिब, कोंडवा के वेलकम हॉल में मदरसा खैरुल उलूम का सालाना इजलास और हुफ्फाज़ ए किराम की दस्तारबन्दी का एक अज़ीमुशशान प्रोग्राम मुल्क के बेबाक आलिम,सहाफी (पत्रकार ) और शोला बयान मुक़र्रिर हज़रत मुफ़्ती मोहम्मद हारून साहब नदवी की सादरत में रखा गया था,जिस में शहर पुणे की बहोत ही अज़ीम तरीन शख्सियात, उलामा, अइम्मा और सियासी मिल्ली ज़िम्मेदार भी बड़ी तादाद में शरीक रहे,
हज़रत मौलाना शहाबुद्दीन साहब जो इस मदरसे के मोहतामिम हैं इनकी खूसूसी महनत और दावत पर मौलाना रज़ीन अशरफ नदवी, क़ारी मोहम्मद इदरीस साहब, सदर जमीअत उलामा पुणे, मौलाना निजामुद्दीन फखरउद्दीन, हाजी गुलज़ार साहब, मौलाना मूसा मिफ्ताही, मुफ़्ती अहमद क़ासमी, मौलाना शाकिर रहमानी, ज़ाहिद भाई, क़ारी यासीन, मुफ़्ती आफ़ताब आलम, जनाब हाफ़िज़ बिस्मिल्लाह साहब, इनायतुल्लाह सिद्दीकी, मौलाना एहसान साहब और भी बड़ी तादाद में उलामा मौजूद रहे, मुफ़्ती हारून नदवी को सुनने देखने के लिये हज़ारों का मजमा वेलकम हॉल में आखिर तक भरा रहा, मुफ़्ती हारून साहब की ही दुआ पर प्रोग्राम ख़तम हुवा,